हिन्दुस्तान के अन्दर "इंडिया का
सेकुलरिज्म" हज़ार सालों के :मुस्लिम परस्ती और अँगरेज़ परस्ती" वाली
गुलाम मानसिकता से उत्पन्न "हिन्दू विद्वेष और हिन्दू हीन भाव" से ग्रसित
चरित्रहीन मानसिकता है जिसे गाँधी और नेहरु जैसे इतिहास पुरुषों द्वारा सिंचित, पुष्पित, पल्लवित
किया गया और कांग्रेस इसी मानसिकता की उपज एवं पोषक है|
१९४७ के बाद इस " चरित्रहीन सेक्युलर
मानसिकता " का सबसे ज्यादा उपयोग किया और लाभ उठाया कांग्रेसी और कम्युनिस्ट
विचारधारा से प्रभावित और अंग्रेजी व्यवस्था के उत्तराधिकारी, नेहरु
- गाँधी के पिछलग्गू मानसपुत्रों ने जो आजतक भारत को एक गरीब और चरित्रहीन देश
बनाये रखने में कामयाब रहे -इसलिए कांग्रेसी मानसिकता शुद्ध देशद्रोह वाली
मानसिकता का राजनितिक स्वरुप है और कांग्रेस का व्यवहार उसी मानसिकता के अनुरूप ही
है खासकर तब जब मोदीजी केन्द्रीय सत्ता का सफलता पूर्वक संचालन कर देश को आर्थिक -
राजनैतिक महाशक्ति बनाने की ओर अग्रसर है |
सोनिया-राहुल
और अन्य कांग्रेसी मोदीजी के प्रति घृणा में इतना मानसिक रूप से
विचलित और भयभीत हो चुके है की अब उन्हें पाकिस्तान और इस्लामी आतंकवादी अपना
दोस्त लगता है तथा भारत की सरकार और भारतीय जनता इन्हें अपना दुश्मन नजर आती
है |
आप किसी भी कांग्रेसी प्रवक्ता का टीवी बहस में उनके व्यक्तव्यों को सुनकर अपना सर पिट लेते है की क्या भारत को वो कभी भी अपना देश माना है की नहीं ? अभी भी कांग्रेसी सोनिया और राहुल एक ओब्सेसन में जी रहे है जहाँ भारत उनकी जागीर थी और मन माफिक भारत के इतिहास की ब्याख्या उनका जन्मसिद्ध अधिकार है .. एक महान इतिहासकार का विचार ----
ये तथाकथित इतिहासकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की उपज थे, जिन्होंने नूरुल हसन और इरफान हबीब की अगुआई में इस प्रकार इतिहास को विकृत किया।भारतीय इतिहास कांग्रेस पर लम्बे समय तक इनका कब्जा रहा, जिसके कारण इनके द्वारा लिखा या गढ़ा गया अधूरा और भ्रामक इतिहास ही आधिकारिक तौर पर भारत की नयी पीढ़ी को पढ़ाया जाता रहा।वे देश के नौनिहालों को यह झूठा ज्ञान दिलाने में सफल रहे कि भारत का सारा इतिहास केवल पराजयों और गुलामी का इतिहास है और यह कि भारत का सबसे अच्छा समय केवल तब था जब देश पर मुगल बादशाहों का शासन था। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर ही नहीं नये ‘तथ्यों’ को गढ़कर भी वे यह सिद्ध करना चाहते थे कि भारत में जो भी गौरवशाली है वह मुगल बादशाहों द्वारा दिया गया है और उनके विरुद्ध संघर्ष करने वाले महाराणा प्रताप, शिवाजी आदि पथभ्रष्ट थे।
इनकी एकांगी इतिहास दृष्टि इतनी अधिक मूर्खतापूर्ण थी कि वे आज तक महावीर, बुद्ध, अशोक, चन्द्रगुप्त, चाणक्य आदि के काल का सही-सही निर्धारण नहीं कर सके हैं।